“मॉस्को में कॉफी नहीं, कूटनीति पर गरमा-गरम बातचीत!”

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों मॉस्को में हैं, जहाँ उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव के साथ अहम मुलाकात की।
मुलाकात दिखने में भले ही एक औपचारिक डिप्लोमैटिक फोटो-सेशन लगे, लेकिन एजेंडा काफी गंभीर और भारी था—ट्रेड, एनर्जी, टेक्नोलॉजी, मोबिलिटी, कल्चर और स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप सबकी बात हुई।

यानि मीटिंग कुछ ऐसी:

“चलो आज रूस-India friendship का complete health check-up कर लेते हैं।”

23वीं वार्षिक भारत-रूस शिखर बैठक की तैयारियाँ तेज

भारत और रूस के बीच जल्द ही 23वीं वार्षिक समिट होने वाली है। और खास बात— रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं।

जयशंकर और लावरोव की बैठक मूलतः उसी समिट की ‘pre-production meeting’ जैसी रही—जहाँ स्क्रिप्ट यह सुनिश्चित कर रही है कि दोनों देशों के रिश्तों की कहानी बिना किसी ट्विस्ट के आगे बढ़े।

जयशंकर बोले: चर्चा पॉजिटिव, एजेंडा बड़ा

मॉस्को में हुई मुलाकात पर जयशंकर ने बताया— “विदेश मंत्री लावरोव से मिलकर खुशी हुई। हमने व्यापार, निवेश, ऊर्जा, कृषि, टेक और पूरी bilateral partnership पर बातचीत की।”

इसके अलावा उन्होंने वैश्विक हालात, क्षेत्रीय मुद्दों और मल्टीलेटरल प्लेटफॉर्म्स पर भी दोनों देशों की प्राथमिकताएँ साझा करने की बात कही।

सरल भाषा में— दोनों ने दुनिया के हालात का पोस्टमॉर्टम किया और भविष्य की स्ट्रेटजी की रूपरेखा बनाई।

भारत-रूस रिश्ते: पुराने दोस्त, नए मोड़

सालों पुरानी strategic partnership नए global geopolitics के दौर में और भी अहम हो गई है। यूक्रेन युद्ध से लेकर ऊर्जा सुरक्षा तक—दोनों देशों की चिंताएँ और हितों की सूची काफी लंबी है। इस मुलाकात ने संकेत दिया कि रिश्ते स्थिर हैं, संवाद मजबूत है और दोनों देश भविष्य को लेकर सिंक में हैं।

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